आदरणीय योगशिक्षको वं योग प्रेमियों आप सबको मेरा प्रणाम वं साधुवाद। जैसे के आज का विषय है क्वालिटी कॉउंसिल ऑफ इंडिया और इसका इतने बड़े स्तर पर योगशिक्षको से लूट का।
यह है वो RTI जिसमे सवाल पूूछे गए थे सीधे सीधे। जिसके उत्तर में क्वालिटी कॉउंसिल का उत्तर पहले तो आया नही बार बार कॉल करने पर पूछने पर उत्तर यह था नीचे पढ़ें।
अब आप समझ ही जाएं कि क्वालिटी कॉउंसिल कितना बड़ा धोखाधड़ी का संस्थान था। जो अब नए नाम और पुराने काम से विख्यात है। आगे भी हमसे जुड़े रहने के लिए टेलीग्राम और हैंगआउट ग्रुप से जुड़ें ।
तो आएं आरम्भ करते हैं। जैसे कि आप जानते ही हैं कि हमारा योग एक भारतीय चिकित्सा प्रणाली के अंतर्गत आता है जो कि आयुष डिपार्टमेंट के अंतर्गत है। और आयुष विभाग आयुष मिनिस्ट्री के अंतर्गत है। और आयुष मिनिस्ट्री की स्थापना नौ नवंबर 2014 में हुई थी।
अब इस घटना क्रम को ध्यान से समझें आयुष विभाग के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय योग वं प्राकृतिक अनुसन्धान संस्थान आता है उसके अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय योग महाविधालय जिसका नाम मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग महाविद्यालय है के अध्यक्ष एक ही व्यक्ति चयनित हुए। उसके उपरांत योग शिक्षा का स्तर पहले से बढ़ा और जहां पहले स्नातक एवं डिप्लोमा होता था वहां स्नातकोत्तर तथा एम फिल और पी एच डी भी जगह बनाने लगी तभी कौंसिल ने कुछ पाठ्यक्रमों को मानने से इनकार कर दिया था। जिससे योग में शिक्षा ग्रहण करने वाले यूजीसी के सम्पर्क में आए। जिसके उपरांत उनकी शिक्षा को मान्य करना पड़ा।
इसी दौरान एक ऑटोनोमस कंपनी का सरकार से करार होता है जिसका नाम था क्वालिटी कॉउंसिल और योग में क्वालिटी कॉउंसिल का प्रवेश होता है। जिसके पीछे CCYRN और मोरारजी के तत्कालीन अध्यक्ष का बहुत बढ़ा सहयोग था।
क्या थी क्वालिटी कॉउंसिल
क्वालिटी कॉउंसिल जैसे बताया कि कैसे बनी अब बताते हैं क्या थी यह संस्था और कैसे करती थी काम। तो यह कॉउंसिल सीधे तौर पर पैसे कमाने को आगे आई और इसका विश्वास बनाने हेतु योग की महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ लिया गया। अब यह नही कह सकते इसमें किसका क्या हिस्सा और सहयोग रहा। योग में सर्टिफ़िकेट प्राप्त करने की सच्चाई यह थी कि योग में शैक्षिक योग्यता का कोई प्रावधान नही था आप ने कुछ भी किया हो सीधे सिलेबस लो पढ़ो और टेस्ट दो और पैसे अदा करके सर्टिफिकेट ले लो। और हर 3 साल बाद पुनः वही करना।
इस बात की लगाई थी आर टी आई
इस धांधली का पर्दाफाश तब हुआ जब एक योगाचार्य ने सीधे सीधे इसका सवाल सरकार और मंत्रालय तथा विभाग से rti लगा कर पूछा तो सरकार ने इसका जवाब देने के लिए क्वालिटी कॉउंसिल को मार्क किया जिसका जवाब कॉउंसिल नही दे पाई तो सवालों को घुमा दिया और आज तक जवाब नही दिया। जिससे यह साफ होता है कि क्वालिटी कॉउंसिल एक बहुत बढ़ा षड्यंत्र अथवा धांधली का हिस्सा था।
जिस पर बाद में कई राज्यों में आवाज़ उठी और इसको ठंडे बस्ते में ढालने के लिए जो पहले नौकरी के लिए अनिवार्य किया था वो बाद में हटा दिया गया। परन्तु क्वालिटी कॉउंसिल अभी भी रुकी नही और इसके तथ्य आपको अगले संस्करण में सांझा करेंगे।
अभी नीचे कुछ तथ्यों को सलग्न कर रहें हैं। जो हमारे ही एक योग परिवार ने विभाग और कॉउंसिल से RTI के माध्यम से पूछा था और उसका उत्तर क्या रहा आपसे सांझा किया जा रहा है।
यह है सरकार द्वारा कॉउंसिल और अन्य विभागों को अग्रेक्षित किया गया पत्र
यह है वो RTI जिसमे सवाल पूूछे गए थे सीधे सीधे। जिसके उत्तर में क्वालिटी कॉउंसिल का उत्तर पहले तो आया नही बार बार कॉल करने पर पूछने पर उत्तर यह था नीचे पढ़ें।