आज योग फ्रंट संस्था के संस्थापक ने भारत सरकार द्वारा प्राप्त सूचना की जानकारी के आधार पर एक पत्र के माध्यम से कुछ तथ्य साँझा करते हुए कहा कि योग सर्टिफिकेशन बोर्ड एक षड्यंत्र और भ्र्ष्टाचार की दुकान प्रतीत हो रही है। भारत सरकार का आयुष विभाग कहता है YCB एक स्वैच्छिक प्रमाण पत्र है भाव यह अनिवार्य नही हो सकता वहीं कई नौकरियों में इसको अनिवार्य लिखा जा रहा है। सबसे बड़ी बात है जब भारत की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली UGC द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में योग के डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी करवाई जाती है तो YCB क्यों? इसका सवाल यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन, शिक्षा मंत्रालय, आयुष मंत्रालय के पास भी नही, कई सवालों की जानकारी देने से गुरेज करते दिखाई दिए अधिकारी।
वास्तव में योग की शैक्षिक प्रणाली में योग खेल के अलग पाठ्यक्रम और डिग्री है, योग शिक्षा और कला की अलग डिग्री,पाठ्यक्रम हैं और योग विज्ञान चिकित्सा के अपने पाठ्यक्रम हैं। पहले योग को एक षड्यंत्र के तहत प्राकृतिक चिकित्सा के साथ जोड़ा गया जबकि दोनो अलग अलग हैं अब इसमें YCB चला कर योग की विश्वसनीयता को खत्म किया जा रहा है जिससे योग शिक्षा का अस्तित्व खतरे में डाल कर कुछ चुनिंदा योग के ठेकेदारों और बिज़नेस मैन को दिया जा रहा है जो करोड़ों कमा रहे हैं। सवालों से भागते मंत्री और अधिकारी यह कहना है विनय पुष्करणा का कि मिलने हेतु कई पत्र लिखे गए परन्तु अधिकारी और मंत्री समय नही देते जब भी योग में कानून की बात होती अक्सर विशेष लोगों को लाभ देने के लिए इस विषय पर बात करने के लिए समय नही देते मंत्री। यह एक षड्यंत्र ही लग रहा है जिसमे शिक्षा का निरादर किया जा रहा है, रोज़गार छीना जा रहा है, विशेष लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है, पढ़े लिखे योग शिक्षकों के आगे एक सर्टिफिकेट की फौज खड़ी की जा रही है जिससे पढ़े लिखों की आवाज़ दबाई जा सके।
Right. We must know about this.
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