From Life To Hell - एक कड़वा सत्य

सभी पाठकों से निवेदन हैं कि यह समाचार बहुत गोपनीय किन्तु चिंताजनक है अतः कृपया इसको बहुत संवेदनशीलता तथा जिम्मेदारी के साथ पढ़ें और अपने बच्चों, पारिवारिक सदस्यों के साथ आगे सांझा जरूर करें। 


पाठको क्या आपने अपने जीवन में एस्कॉर्ट सर्विस नाम की दलदल के बारे में सुना है?  शायद ही आज के समय में यह दलदल किसी क्षेत्र में नाबालिग बच्चीयों  को अपना शिकार न बना रहा हो।  किन्तु अधिकाँश लोग आज भी इस दलदल से अनभिज्ञ है।  किन्तु जल्द ही यह डायनामाइट की तरहं फटने वाला है और आस पास सभी को प्रभावित करने वाला है।  किन्तु इस विषय पर कोई भी कोई भी भाव (शासन/प्रशासन/माता पिता/बुढ़िजीवी/आन्दोलनजीवी/शिक्षक/प्रधानाचार्य/महिला आयोग आदि)

एस्कॉट्र्स सेवा क्या है?

एस्कॉर्ट सेवाएं विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं।  कुछ मामलों में, एस्कॉर्ट सामाजिक कार्यक्रमों में साथ देने, व्यावसायिक यात्राओं पर सहायता करने या पर्यटकों को मार्गदर्शन देने के लिए काम पर रखे जाते हैं.  हालांकि, इस निबंध में हम जिस एस्कॉर्ट सेवा की बात कर रहे हैं, वह यौन साथी के रूप में काम करने वाली सेवा है. इस प्रकार की एस्कॉर्ट सेवा को वेश्यावृत्ति का एक रूप माना जाता है, जो भारत में गैरकानूनी है।  

वेश्यावृत्ति: एक ज्वलंत मुद्दा

वेश्यावृत्ति सदियों से समाज में एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा रहा है। यह एक ऐसी समस्या है जो गलियों, स्कूलों, घरों और यहां तक ​​कि ऑनलाइन दुनिया तक फैल गई है।

बच्चियों को निशाना बनाना:


यह चिंताजनक है कि इस घृणित कृत्य के लिए युवा लड़कियों को कैसे लक्षित किया जा रहा है, उन्हें "प्यार" का झूठा वादा करके फंसाया जा रहा है। यह न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक भलाई पर भी विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है।

लड़कियों को कैसे फंसाया जाता है:

सोशल मीडिया और इंटरनेट: 

शिकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन गेमिंग साइटों का उपयोग करके लड़कियों से दोस्ती करते हैं और उनका विश्वास जीतते हैं। फिर वे उन्हें धीरे-धीरे अनुचित तस्वीरें और वीडियो साझा करने के लिए राजी करते हैं, जिसका उपयोग बाद में उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है।

झूठे वादे और हेरफेर: 

शिकारी लड़कियों को प्यार, सुरक्षा और बेहतर जीवन का झूठा वादा करते हैं। वे उनकी कमजोरियों का फायदा उठाते हैं और उन्हें भावनात्मक रूप से हेरफेर करते हैं, जिससे वे उन पर निर्भर हो जाती हैं।

धमकी और डर: 

जब लड़कियां फंस जाती हैं, तो शिकारी उन्हें धमकाते हैं और डराते हैं। वे उनके परिवार और दोस्तों को नुकसान पहुंचाने की धमकी देते हैं, जिससे लड़कियां डर जाती हैं और बाहर नहीं निकल पाती हैं।

सबसे बड़ा मुद्दा पाठशालाओं मे पढ़ती छात्राएं अनजाने मे हो रही शिकार:


मैं आपको बताना चाहता हूँ स्कूली छात्राएं अज्ञानता के तहत हो रही हैं शिकार जिसमे कई फैक्टर कर रहें हैं प्रभावित। 

  1. स्कूल जाती लड़कियों के साथ स्कूल जाते लड़कों द्वारा दोस्ती करना और प्रेम और विश्वास के नाम पर उनको अपनी प्राइवेट गाड़ियों मे बाहर गुमाने ले जाना। 
  2. महंगे उपहार के लिए लड़कियों द्वारा जाने अनजाने में कई कैसे सम्पर्क बन जाते हैं जो बाद में उनको समस्या उतपन्न कर सकते हैं।  
  3. महंगे रेस्टोरेंट में खाना अथवा मूवी देखना भी एक प्रकार का जरिया है जिससे लड़कियां इन गलत संगति में पड़ती हैं।  
  4. घर से पाठशाला के लिए निकली लड़कियां अक्सर रास्ते में लड़कों के साथ उनकी गाड़ियों में बैठ जाती हैं जो वहां से घूमने के नाम पर अलग अलग स्थानों पर ले जाई जातीं हैं उसके बाद कई बार उनके यौन सम्बन्ध बन जाते हैं जिस कारण भावनात्मक रिश्ते बनने लगते हैं किन्तु अधिकांश मामलों में जब लड़के योन सम्बन्ध बना लेते हैं तो उनको उसके बाद फरक नहीं पढता। तो वह रिश्ता कई प्रकार से प्रभावित करता हैं जैसे 
    1. लड़का लड़की से दूरी बनाने लगता है जिस कारण लड़की अहंकार और गुस्से में उसे दिखने अथवा सबक सीखने के चक्कर में और लड़कों के सम्पर्क में आ जाती जिससे वो एस्कॉर्ट जैसे कार्यों में पड़ जाती हैं।  
    2. लड़के लड़की को मजबूर करते हैं और लड़कों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने के लिए जिससे कई बार मजबूर लड़की कई कारणों के कारण इस घिन्नौने कृत्यों में फास जाती हैं।  
      1. जैसे आपत्तिजनक अवस्था में अश्लील फोटो अथवा वीडियो बनाना 
      2. नशे की लत लगाना अदि 
 जब एक बार कोई लड़की इस सबमे फस जाती है तब उसको नशे, पैसे और महंगे उपहारों की लत के कारण इस सबको एक व्यवसाय के रूप में अथवा शौंक के तौर पर अपना लेते हैं और ऐसे ही धीरे धीरे एक लड़की और लड़कियों को इस जाल में फंसा लेती है।  इस प्रकार से गलत क़दमों से जीवन जहनुम बन जाता है।  


विद्यालयी छात्राएं और एस्कॉर्ट सेवाओं का जाल: एक जटिल समस्या का समाधान

भारत में विद्यालयी छात्राओं का एस्कॉर्ट सेवाओं के जाल में फँसना एक गंभीर और जटिल समस्या है. यह न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में धकेल देता है. इस निबंध में हम देखेंगे कि कैसे लड़कियों को इस दलदल में फँसाया जाता है और इसे रोकने के लिए स्कूल, समाज और माता-पिता कैसे मिलकर काम कर सकते हैं.

मुख्य कारण:

कई कारण हैं जो स्कूली छात्राओं को एस्कॉर्ट सेवाओं के प्रति संवेदनशील बनाते हैं:

  • कमज़ोर आर्थिक स्थिति: गरीबी और आर्थिक तंगी कई बार लड़कियों को इस तरह के गलत रास्ते पर ले जाने के लिए मजबूर कर देती है.
  • प्रेम और सुरक्षा का झांसा: शिकारी लड़कियों को प्रेम, सुरक्षा और बेहतर जीवन का झूठा वादा देकर उन्हें फँसाते हैं.
  • ब्लैकमेल: कई बार लड़कियों को उनकी तस्वीरों या वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल किया जाता है, जिससे डर के मारे वे इन सेवाओं में फंस जाती हैं.
  • ड्रग्स का इस्तेमाल: नशे की लत लग जाने के बाद लड़कियों को ड्रग्स उपलब्ध कराने के बदले में इस तरह के काम करने के लिए दबाव डाला जाता है.

लड़कों/सहपाठियों की भूमिका:

दुर्भाग्यवश, कई मामलों में लड़के या सहपाठी ही इस जाल को बिछाने का काम करते हैं:

  • नशीले पदार्थ: वे लड़कियों को पार्टियों या बाहर घूमने के बहाने नशीले पदार्थ देकर बेहोश कर देते हैं और उनका शोषण करते हैं.
  • झूठे वादे: प्रेम का झूठा नाटक कर वे लड़कियों से संबंध बनाने के लिए दबाव डालते हैं और फिर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं.
  • सामाजिक दबाव: सहकर्मी समूह का दबाव या "प्यार साबित करने" के नाम पर लड़कियों को गलत रास्ते पर जाने के लिए प्रेरित किया जाता है.

रोकथाम के उपाय:

इस जटिल समस्या से निपटने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा:

  • स्कूलों की भूमिका: स्कूलों में यौन शिक्षा और सहमति के बारे में पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए. छात्राओं को अपने शरीर के अधिकारों और यौन शोषण के संकेतों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है. साथ ही स्कूलों में परामर्शदाताओं की नियुक्ति से छात्राएं अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकेंगी.
  • समाज की जिम्मेदारी: समाज को इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के बजाय खुलकर बात करनी चाहिए. लड़कियों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले अभियान चलाए जाने चाहिए.
  • माता-पिता की सतर्कता: माता-पिता को अपनी बेटियों के साथ खुला संवाद बनाए रखना चाहिए. उनकी गतिविधियों, दोस्तों और ऑनलाइन व्यवहार पर ध्यान देना ज़रूरी है. साथ ही उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहिए कि किसी भी परेशानी में वे बिना किसी डर के खुलकर बात कर सकती हैं.

निष्कर्ष:

स्कूली छात्राओं को एस्कॉर्ट सेवाओं में फँसाना एक जघन्य अपराध है. कानून को सख्ती से लागू करने के साथ-साथ स्कूल, समाज और माता-पिता का सामूहिक प्रयास ही इस जाल को तोड़ सकता है।   हमें यह याद रखना चाहिए कि छात्राओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है. तभी हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर पाएंगे जहां हर लड़की अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र महसूस करे.

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